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कहते है ना कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का निवास होता है, यदि हम स्वस्थ नहीं है, इस प्रतियोगिता के युग में यदि हमारी यादास्त शक्ति प्रतियोगियों से कम है तो फिर सफलता अत्याधिक कठिन है.
सफलता के लिए परिश्रम और अभ्यास अनिवार्य हैं और इनका कोई विकल्प नहीं है, परिश्रम के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है तो अभ्यास के लिए स्वस्थ दिमाग की.....
आज जब चारो ओर योग और आयुर्वेद का बोलबाला है, तो क्यों न हम इनके द्वारा अपने शरीर और मन को स्वस्थ बनाए और सफलता के करीब औरों से जल्दी पहुंचे -
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